नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा का समापन
समाचार इंडिया। चमोली। बधाण की नंदा को वेदनी बुग्याल, दशोली की नंदा को बालापाटा और बंड की नंदा को नरेला बुग्याल में नंदा सप्तमी के अवसर पर जागर और लोकगीतों के साथ विदा किया गया। नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा का नंदा सप्तमी के अवसर पर नंदा को कैलाश विदा करने के साथ ही समापन हो गया। हिमालय के उच्च हिमालयी बुग्यालों में श्रद्धालुओं नें पौराणिक लोकगीतों और जागर के साथ हिमालय की अधिष्टात्री देवी माँ नंदा को कैलाश के लिये विदा किया। अपनी ध्याण को विदा करते समय महिलाओं की आंखे भर आईं । इस दौरान श्रद्धालुओं नें अपने साथ लाये खाजा- चूडा, बिंदी, चूडी, ककड़ी, मुंगरी भी समौण के रूप में माँ नंदा को अर्पित किये। अपने अंतिम पडाव से माँ नंदा राजराजेश्वरी की डोली गैरोली पातल से वेदनी बुग्याल पहुंची। जहां पहुचते ही मां नंदा की डोली ने पूरे वेदनी कुंड की परिक्रमा की, जिसके बाद माँ नंदा की पूजा अर्चना कर भेंट अर्पित की गयी तत्पश्चात माँ नंदा को जागर और लोकगीत के द्वारा कैलाश को विदा किया गया। इस अवसर पर वेदनी कुंड में तर्पण भी दिया गया। वहीं दूसरी ओर दशोली कुरूड की नंदा डोली रामणी गांव से बालपाटा बुग्याल पहुंची। बालपाटा बुग्याल में माँ नंदा की पूजा अर्चना करके कैलाश के लिए विदा किया गया।