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संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए देश के गुरुकुलों से आगे आने का आहवान किया

समाचार इंडिया ।हरिद्वार। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए देश के गुरुकुल से आगे आने का आहवान किया है। स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती को साथ ही गुरुकुल के संस्थापक स्वामी दर्शनानंद की जयंती के अवसर पर हरिद्वार में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। दुनिया के कई विद्वानों ने प्रकृति और सृष्टि को समझने के लिए संस्कृत का ही अध्ययन किया।योग दर्शन भी महर्षि पतंजलि ने संस्कृत में ही लिखा था। राजनाथ सिंह ने संस्कृत पढ़ने लिखने और बोलने वालों की कम होती संख्या को लेकर चिंता जताई। गुरु शिष्य परंपरा पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि गुरुओं के नाम पर ही सनातन की पहचान है। सभी धर्म में मतभेद हो सकता है लेकिन गुरु को सभी ने स्वीकार किया है। रक्षामंत्री ने कहा कि गुरुकुल परंपरा ने भारत का पूरे विश्व में स्थान दिलाया है। उन्होंने संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम करने की भी बात कही। नई शिक्षा नीति पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कई राज्यों ने नई शिक्षा नीति के तहत अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति ने देश को राजनीतिक और मानसिक रूप से गुलाम बनाया। स्वामी दर्शनानंद ने गुरुकुल की स्थापना कर इस दिशा में प्रकाश फैलाया जो आज भी युवाओं को प्रकाशित कर रहा है। इससे पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने उनका स्वागत किया।

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