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ऑर्किड की खेती के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन

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रुद्रप्रयाग। घिमतोली में सतत पारिस्थितिकी और जैव विविधता अनुसंधान केंद्र (सीएसईबीआर) और जीईयू ने जैव विज्ञान विभाग के साथ पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में सतत पर्वतीय विकास के लिए आर्किड परागण संरक्षण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। इस मौके पर आर्किड और परागणकर्ता के बीच संपर्क, उनके संरक्षण और जीविका के लिए प्रसार के बारे में संवेदनशीलता और जागरूकता पर चर्चा की गई। कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो आरके मैखुरी ने कृषि और जैव विविधता के साथ आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। कहा कि इस तरह के आयोजन समय-समय पर होने चाहिए, जिससे स्थानीय को भी लाभ मिल सके। विशिष्ठ अतिथि रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ रजत सुमन ने वन पंचायतों के माध्यम से आर्किड की खेती को बढ़ावा देने की बात कही। कहा कि आर्किड की खेती से ग्रामीण विकास और सतत विकास के लिए अच्छी पहल होगी। बतौर मुख्य वक्ता जैव विविधता बोर्ड उत्तराखंड के अध्यक्ष डा एसपी सुबुद्धि ने कहा कि स्थानीय समुदाय को स्थानीय उत्पादों के प्रति जागरूक करना होगा। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों को समझना होगा, जिससे उनका उचित उपयोग हो सके। कहा कि पहाड़ में असाधारण जैव विविधता और स्वदेशी ज्ञान प्रणाली के प्राकृतिक संसाधनों के साथ युवाओं को अब इन प्रणालियों के बारे में जानकारी देकर उन्हें तैयार करना होगा। कार्यशाला में वक्ताओं ने वनस्पति विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, वानिकी, मृदा विज्ञान से जुड़े विषयों पर चर्चा करते हुए आमजन की भागीदारी पर जोर दिया। वहीं, जैव विविधता संरक्षण विषय पर छात्रों द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके अलावा विशेषज्ञों के साथ छात्रों और स्थानीय जनप्रतिनिधि, किसान, महिलाएं, युवक-युवतियां और छात्र-छात्राओं के बीच अलग-अलग विषयों पर चर्चाएं आयोजित की गईं। इस मौके पर ग्राफ्रिक एरा विवि के जैव विज्ञान विभाग के एचओडी प्रो वीपी उनियाल, प्रो मनु पंत, एडीएफओ दिवाकर पंत, देवेंद्र सिहं पुंडीर, ग्राम प्रधान कविता देवी ने भी विचार रखे। घिमतोली ने केंद्र में एक आर्किड पॉलीहाउस का उद्घाटन भी किया।

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