धामी ने योगी आदित्यनाथ से की शिष्टाचार भेंट

प्रश्नगत क्षेत्र में सिंचाई के लिए कोई नदी व अन्य जल श्रोत उपलब्ध नही हैं। जिस कारण गंग नहर से 665 क्यूसेक पानी उत्तराखण्ड को दिया जाना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधीक्षण अभियन्ता गंग नहर संचालन मण्डल, उ०प्र०. सिं०वि०, मेरठ द्वारा गंग नहर से 665 क्यूसेक जल मात्र खरीफ फसल के लिए उत्तराखण्ड राज्य को उपलब्ध कराये जाने के लिए प्रारम्भिक फिजीबिलिटी रिपोर्ट प्रेषित की गयी थी एवं फिजीबिलिटी रिपोर्ट में अवगत कराया गया था कि 665 क्यूसेक जल खरीफ फसल के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है, और रबी की फसल की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य द्वारा टिहरी बाँध से मिलने वाले 4879 क्यूसेक अतिरिक्त जल में से 665 क्यूसेक जल की मांग की गयी है, वह न्यूनतम एवं औचित्यपूर्ण है, जो टिहरी बाँध से उपलब्ध होने वाले अतिरिक्त जल का 13.5 प्रतिशत मात्र है तथा उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित उपयोगिता 4000 क्यूसेक जल के पश्चात् अवशेष उपलब्ध जल से भी कम है, जिस पर सहमति उ०प्र० शासन स्तर पर लम्बित है। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड राज्य की प्रस्तावित सिंचाई योजनाओं हेतु 665 क्यूसेक पानी की आपूर्ति उत्तरी गंग नहर से किये जाने के सम्बन्ध में स्वीकृति प्रदान किये जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश राज्य के मध्य आस्तियों एवं दायित्वों के विभाजन के सम्बन्ध में भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद हरिद्वार में सिंचाई विभाग की 615.836 है0 भूमि एवं 348 सं0 आवासीय भवन तथा 167 सं० अनावासीय भवन उत्तराखण्ड राज्य को हस्तान्तरण किये जाने के लिए दोनो मुख्य सचिवों द्वारा संयुक्त सहमति व्यक्त की गयी है। इसी प्रकार ‘‘जनपद ऊधमसिंहनगर की कुल 332.74 है भूमि में से 322.00 है० नानक सागर बांध डूब क्षेत्र की भूमि से उत्तराखण्ड राज्य के सहयोग से अतिक्रमण हटाये जाने तथा अवशेष 10.748 है0 भूमि उत्तराखण्ड राज्य को उपलब्ध कराये जाने के संबंध में शीध्र निर्णय लिये जाने की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनो राज्यों के अधिकारियों द्वारा बनबसा स्थित भूमि का पुनः सर्वेक्षण कर कन्दूर मैप एवं प्लान तैयार कर लिया गया है तथा उस पर विभिन्न प्रकार की भूमि का अंकन भी कर लिया गया है। सिंचाई विभाग उत्तराखण्ड के अधिकारियों द्वार कुल 1410.55 है भूमि में से 162.05 80 भूमि को हस्तान्तरण के लिए उपयुक्त पाया गया है। इन सभी बिन्दुओं पर दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ हुई बैठक में सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि जिन परिसम्पत्तियों के उत्तराखण्ड राज्य को हस्तान्तरण पर सहमति हो गयी है, उनके हस्तान्तरण के लिये शीघ्र शासनादेश निर्गत किया जाये।
