मतदाताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी की जांच पारदर्शी तरीके से कराने की मांग
समाचार इंडिया/देहरादून। केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने इस वर्ष जनवरी में उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान मतदाताओं की संख्या में हुई अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी की विस्तृत स्तर पर त्रिस्तरीय जांच करने के आदेश दिये थे। इस जांच में मीडिया के हवाले से कुछ समय पूर्व छपी खबर के अनुसार सभी त्रिस्तरीय जांच कमेटियों को मतदाताओं की संख्या में हुई इस बढ़ोत्तरी में कोई अनियमितता नहीं मिली है। लेकिन, वोटर संख्या इतनी तेजी से कैसे बढ़ी और राज्य की 70 विधानसभा सीटों के 11,000 से ज्यादा पोलिंग बूथ पर 83 लाख वोटर्स की कैसे इतनी जल्दी जांंच हुई, इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आयी है। देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने केन्द्रीय चुनाव आयोग को पत्र भेजकर मतदाताओं की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी के सभी पहलुओं की जांच फ़िर से पारदर्शी तरीके से कराने की मांग की है। पिछले वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में एसडीसी फाउंडेशन ने चुनावी आंकड़ों को लेकर अलग-अलग रिपोर्ट जारी थी। इनमें से एक रिपोर्ट ‘डेमोग्राफिक चेंजेज, डिस्ट्रिक्ट अपडेट एंड कॉन्सिट्वेंसी नंबर्स’ भी थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि राज्य में पिछले एक दशक यानी 2012 से 2022 में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि इससे पहले वाले दशक, 2002 से 2012 में राज्य में 20 प्रतिशत मतदाता बढ़े थे। रिपोर्ट के अनुसार मैदानी क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर इस दौरान मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी हुई थी। देहरादून की धर्मपुर विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 2012 से 2022 के दौरान 72 प्रतिशत बढ़ गई थी। वर्ष 2022 में उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा में भी विधानसभा चुनाव हुए थे। उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की तुलना में पंजाब में 21 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 19 प्रतिशत, मणिपुर में 14 प्रतिशत और गोवा में 13 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. वीके बहुगुणा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उनकी रिपोर्ट को आधार बनाकर केन्द्रीय चुनाव आयोग से जांच की मांग थी। 4 जनवरी, 2023 को केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने राज्य निर्वाचन आयोग को इस बारे आदेश दिये थे। राज्य निर्वाचन आयोग ने 9 जनवरी, 2023 को सभी डीएम और जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर हर जिले में जिला स्तर, विधानसभा क्षेत्र स्तर और मतदान केंद्र स्तर पर कमेटियों का गठन कर त्वरित जांच करने के आदेश दिये थे।एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने आशंका जताई कि ऐसा प्रतीत हो रहा है की त्रिस्तरीय जांच में सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई। वोटर वृद्धि का मामला राज्य की कैरिंग कैपेसिटी और यहां के संसाधनों से जुड़ा मामला है। कम संसाधनों वाले उत्तराखंड राज्य में अन्य राज्यों की तुलना में इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स का बढ़ना चिन्ताजनक है। इससे न सिर्फ राज्य के सांस्कृतिक स्वरूप में बदलाव आयेगा, बल्कि पहले ही क्षमता से कहीं ज्यादा बोझ ढो रहे चरमराते हुए अनियोजित विकास की बलि चढ़ चुके उत्तराखंड के शहरों में स्थितियां और ज्यादा बिगड़ेंगी। उन्होंने कहा कि लगता है जांच के लिए बनाई गई समितियों ने फौरी तौर पर मतदाताओं की सूचियां देखकर रिपोर्ट दे दी कि सब कुछ ठीक है और जनसंख्या बढ़ोत्तरी के कारण मतदाता बढे़े हैं। अनूप नौटियाल ने चुनाव आयोग से इस मामले की जांच के लिए गठित समितियों के सभी सदस्यों के नाम, पता और फोन नंबर उपलब्ध करवाने की भी मांग की ताकि उनकी संस्था की तरफ से स्वतंत्र फीडबैक लिया जा सके। अनूप नौटियाल के अनुसार यह बात सही है कि भारत का कोई भी नागरिक देश के किसी भी क्षेत्र में रह सकता है और वहां की वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा सकता है। लेकिन इसके लिए कुछ अर्हताएं पूरी करनी होती हैं। हमारा सवाल है कि इतनी बड़ी संख्या में उत्तराखंड की वोटर लिस्ट में नाम लिखवाने वाले लोग क्या ये अर्हताएं पूरी करते हैं। इसके अलावा इस बात की भी आशंका है कि राजनैतिक या सामाजिक कारणों से प्रदेश की वोटर संख्या में इतने बड़े बदलाव देखने को मिले हैं, इन सब पहलुओं की विस्तृत जांच की आवश्यकता है।