Sun. Sep 22nd, 2024

केदार घाटी के सभी तीर्थ स्थलों में भक्तों ने पूजा अर्चना

ऊखीमठ।

केदार घाटी में रामनवमी पर्व हर्षोंउल्लास के साथ मनाया गया। सिद्धपीठ कालीमठ सहित भगवती के सभी शक्ति पुंजों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। केदार घाटी के सभी तीर्थ स्थलों में भक्तों ने पूजा अर्चना कर विश्व शान्ति व समृद्धि की कामना की। रामनवमी पर्व पर मुख्य बाजारों से लेकर घरों की चौखटों में रौनक रही। भगवती काली की तपस्थली सिद्धपीठ कालीमठ में भक्तों ने महा काली, महा लक्ष्मी तथा महा सरस्वती के तीनो रूपों की पूजा कर मनौती मांगी। ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रोंच्चारण तथा महिलाओं के भजनों से सिद्धपीठ कालीमठ का वातावरण भक्तिमय बना रहा। अन्य राज्यों से सिद्धपीठ कालीमठ पहुंचे भक्तों ने कन्याओं का पूजन कर विशाल भण्डारे का आयोजन किया जिसमें सैकड़ों भक्तों ने प्रतिभाग किया। सिद्धपीठ कालीमठ के अलावा रुच्छ महादेव, कोटि माहेश्वरी, चामुण्डा देवी, राकेश्वरी तीर्थों सहित क्षेत्र के सभी मठ – मन्दिरों मे बह्म बेला से ही भक्तों का तांता लगा रहा। सिद्धपीठ कालीमठ के वेदपाठी रमेश चन्द्र भटट् ने बताया कि चैत्र नवरात्रों में भगवती काली की पूजा – अर्चना करने का विशेष महात्म्य माना गया है! प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि चैत्र नवरात्रों के पावन अवसर पर सिद्धपीठ कालीमठ में कई सैकड़ों भक्तों ने पूजा – अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की। पण्डित दिनेश चन्द्र गौड़ ने बताया कि जो मनुष्य भगवती काली का स्मरण मात्र करता है वह सांसारिक सुखों को भोगकर अन्त में मोक्ष को प्राप्त होता है। देहरादून निवासी राहुल ने बताया कि भगवती काली की तपस्थली कालीमठ क्षेत्र में प्रवेश करने से मन को अपार शान्ति मिलती है! टिहरी निवासी विजय पंवार ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ तीर्थ में पूजा – अर्चना करने से भटके मन को असीम शांति मिलती है। चामुण्डा तीर्थ में विगत कई वर्षों से पूजा – अर्चना कर रहे सत्यानन्द भटट् ने बताया कि रामनवमी पर्व पर भगवती चामुण्डा, रुच्छ महादेव तथा कोटि माहेश्वरी तीर्थ में सैकड़ों भक्तों ने पूजा – अर्चना कर पुण्य अर्जित किया। भीगी निवासी नरेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि रूच्छ महादेव को उत्तर गया के नाम से जाना जाता है तथा यह तीर्थ उपासना के लिए परम सिद्ध माना गया है। कार्तिक स्वामी तीर्थ के पुजारी नन्दन पुरी ने बताया कि रामनवमी पर्व पर कार्तिक स्वामी तीर्थ में सैकड़ों भक्तों ने पूजा – अर्चना कर पुण्य के भागी बने।

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