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धामी ने दी पार्टी को मजबूती

देहरादून।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को  खटीमा की जनता ने भले ही नकार दिया हो, लेकिन चुनाव हारने के बाद भी वह आज भी भाजपा केंद्रीय आलाकमान के पसन्दीदा चेहरे बने हुए हैं। धामी को भाजपा ने उस वक्त प्रदेश की कमान सौंपी जब प्रदेश में भाजपा बेहद कमजोर थी और अंदर ही दो-दो मुख्यमंत्री बदलने के बाद अजीबोगरीब हालात पैदा हो गए थे। ऐसे में पुष्कर सिंह धामी ने बेहद कम समय में  अपने कुशल नेतृत्व में जनता के दिलों में भाजपा के प्रतिविश्वास बनाया। भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी की कप्तानी में चुनाव लड़ा और वह केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे पर खरे उतरे और हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया। ऐसे में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व एक बार फिर से प्रदेश की बागडोर धामी के हाथों में सौंप सकती है। विस चुनाव में भले ही मोदी मैजिक जीत का आधार रहा हो, लेकिन इसमेंं कोई दोराहा नहीं कि पुष्कर सिंह धामी ने ही इसमें जीत का तड़का लगाकर पार्टी को दोबारा सत्ता तक पहुँचाया है। अगर अतीत में झांका जाए तो पुष्कर सिंह धामी भी  सत्‍ता में रहते हुए चुनाव हारने वाले मुख्यमंत्री की जमात में शामिल हो गए हैं। इससे पहले 2012 में भाजपा भुवन चन्द्र खण्डूडी के नेतृत्व में चुनाव लड़ी, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा खण्डूडी चुनाव हार गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्‍व में चुनाव लड़ा  था । वह दो जगह से चुनाव लड़े और हार गए। धामी के चुनाव हारने से हर कोई हैरान है।  वही इस बार  दूसरे पार्टी के घोषित मुख्यमंत्री के चेहरे  हरदा, और कर्नल कोठियाल को भी जनता ने नकार दिया है।

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