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शिक्षक नवीन जोंटी सजवाण ने चार सदस्यीय दल के साथ बाली दर्रा में फहराया तिरंगा

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रुद्रप्रयाग। अगस्त्यमुनि ब्लॉक के उप तहसील बसुकेदार के क्यार्क गांव निवासी और राजकीय जूनियर हाईस्कूल सेमी-गुप्तकाशी के शिक्षक नवीन जोंटी सजवाण ने चार सदस्यीय दल के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे और कठिन दर्रों में शामिल बाली पास दर्रा सफलतापूर्वक पार करते हुए तिरंगा लहराया। उन्होंने चार दिन में यह कठिन अभियान पूरा करते हुए नई उपलब्धि हासिल की है। शिक्षक सजवाण पूर्व में भी कई सहासिक यात्राएं कर चुके हैं। उनकी इस उपलब्धि पर केदारनाथ विस की विधायक सहित विभागीय अधिकारियों के साथ ही शिक्षक संगठन और अन्य क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने बधाई दी है। 26 मई को समुद्रतल से 16200 फीट की ऊंचाई पर स्थित बाली दर्रा को फतह करने के लिए शिक्षक नवीन जोंटी ने अपने तीन साथियों के साथ उत्तरकाशी जनपद के गंगाड गांव से बाली दर्रा के लिए रवाना हुये। ओसला गांव से देवसू बुग्याल होते हुए रुइनसारा झील के निकट रात्रि प्रवास किया। दल अगली सुबह 27 मई को अपने अभियान पर आगे बढ़ते हुए थांगा बुग्याल से उड्यारी कैंप पहुंचा। यहां रात्रि प्रवास करते हुए दल 28 की रात्रि को बेस कैंप पहुंचा। थककर चूर होने के बावजूद 29 मई की सुबह 5.20 बजे शिक्षक नवीन जोंटी सजवाण और उनके साथ अपने मिशन को फतह करने के लिए आगे बढ़े। शिक्षक सजवाण ने सबसे पहले सिर्फ 45 मिनट में बेस कैंप से बाली दर्रा की चोटी पर पहुंचकर 6.05 बजे तिरंगा फहराया। उनके साथ के मुकेश मंजूल शर्मा ने यह दूरी 55 मिनट में पूरी की। शिक्षक सजवाण ने बताया कि 60 किमी ट्रैक जोखिमभरा है। यहां, विशालकाय हिमखंडों के साथ ही गहरी घाटी, ऊंची-ऊंची चट्टानी पहाड़ियां और कई जलधराएं हैं। बताया कि बाली दर्रा हर की दून घाटी को यमुनोत्री धाम से जोड़ता है। साथ ही यहां से काला नाग, बंदर पूंछ, स्वर्गारोहिणी आदि कई दुर्गम हिमच्छादित चोटियां नजर आती हैं। एक जून को चार सदस्यीय दल वापस देहरादून पहुंच गया है। बताया कि खराब मौसम के कारण उन्हें इस अभियान में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

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