पांच जिलों में चल रही बद्री गाय संरक्षण एवं संवर्द्धन कार्यक्रम
देहरादून। अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई उत्तराखण्ड पशुधन विकास परिषद की गवर्निंग बॉडी की बैठक में अधिकारियों को छोटे किसानों के साथ ही बड़े किसानों को भी इस क्षेत्र में प्रोत्साहित किए जाने की बात कही ताकि किसानों का व्यावसायिक दृष्टिकोण विकसित हो और योजना के उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि गौ एवं महिष वंशीय पशुओं में मात्रात्मक एवं गुणात्मक आनुवंशिक सुधार लाने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों में गर्भधारण दर को बढ़ाने एवं उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए जाने के निर्देश दिए। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि पशुओं में उत्पादकता बढ़ाए जाने हेतु नस्लवार लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा स्वदेशी नस्लों को संरक्षण देने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों में किसानों की प्रतिभागिता सुनिश्चित किए जाने हेतु हाईब्रिड मॉडल को अपनाया जा सकता है, ताकि किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी हो और स्वदेशी नस्लें भी संरक्षित रह सकें। उन्होंने कहा कि स्वदेशी नस्लों को संरक्षित करने के लिए भी परिणाम आधारित कार्यक्रम संचालित किए जाएं। बैठक के दौरान बताया गया कि प्रदेश में वर्तमान में 1804 कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र हैं। बताया गया कि प्रदेश के 6 जनपदों (अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी, टिहरी एवं उत्तरकाशी में बद्री गाय संरक्षण एवं संवर्द्धन कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी संचालन किया जा रहा है, जिसमें मैत्री, एआई रिफ्रेशर, पशु सखी, बकरी पालन, एवं ए हेल्प कार्यक्रम शामिल हैं।