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हाईकोर्ट ने रोक को जारी रखा

समाचार इंडिया।नैनीताल। हाईकोर्ट ने भीमताल के जिलिंग स्टेट पर हो रहे निर्माण कार्यो के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की । मामले को सुनने के वाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने जिलिंग स्टेट में निर्माण कार्यो पर लगी रोक को जारी रखा है। कोर्ट ने सभी पक्षकारों से कहा है कि कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर चार सप्ताह में जवाब पेश करें। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद कि तिथि नियत की है । पूर्व में कोर्ट ने गूगल से ली गयी तस्वीरों को देखने के बाद यह निर्देश जारी किए थे। जिसमें 36 हेक्टेयर स्टेट के 8.5 हेक्टेयर क्षेत्र को हरित आवरण की कमी को दिखाई गया है। कोर्ट ने क्षेत्र के स्थानीय व भौतिक निरीक्षण करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। मामले के अनुसार वीरेंद्र सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 1980 के दशक में जिलिंग एस्टेट को संपत्ति बेच थी और वह इसकी आड़ में आस-पास के इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां भी कर रहा है। अगर वन क्षेत्र में कोई अनधिकृत गतिविधि की जाती है तो वह शिकायत कर सकता है।
इसको लेकर याचिकाकर्ता ने पहले एनजीटी और फिर सुप्रीम कोर्ट से इसकी अपील की थी । शिकायत में कहा था कि जिलिंग स्टेट के द्वारा करीब 44 विला और हेलीपैड और रिसॉर्ट कॉटेज सहित अन्य का निर्माण जिलिंग एस्टेट में किया जा रहा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि एस्टेट ने सक्षम अधिकारियों से कोई अनुमति प्राप्त किए बिना विकास गतिविधियों को करने के लिए एक जेसीबी मशीन का भी इस्तेमाल किया। स्टेट ने कभी भी पर्यावरण विभाग की अनुमति नहीं ली।
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि एस्टेट ने घने वन क्षेत्र में विकास गतिविधियों को अंजाम दिया है, जिसमें 40% से अधिक घने पेड़ हैं, हम पूरे जिलिंग के नए सिरे से जाँच कराना चाहते हैं । 11 फरवरी 2020 को उच्चतम न्यायालय ने रेबन्यू व फारेस्ट विभाग से इसका सर्वे व जाँच करने के आदेश दिए थे उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।

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