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निर्धन और जरूरतंमदों की सेवा करें डॉक्टर : मुख्यमंत्री

समाचार इंडिया। देहरादून। केन्द्रीय रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने शनिवार को एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि दीक्षान्त समारोह शिक्षा का नहीं अपितु संस्कारों का सन्देश देता है। संस्कार जीवन में महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा कल्याणकारी अथवा विनाशकारी में से कुछ भी हो सकती है, यह विद्यार्थियों के संस्कारों पर निर्भर करता है। दीक्षान्त समारोह शिक्षा का अन्त नही है। सीखने के प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। जीवन में सफलता और असफलता साथ-साथ चलती रहती है। असफलताओं से डरने के स्थान पर उनसे सीखना आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी   टीम भावना के साथ देश के लिए कार्य कर रहे हैं। देश के विकास और प्रगति में सभी वर्गाें की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।  अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बढ़ी है। भारत का कद ऊंचा हुआ है। आज भारत के विचारों को अर्न्तराष्ट्रीय मंचों पर गम्भीरता से सुना जा रहा है।  केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी जनरेशन जी से है। आप सभी डिजटल, आई टी, इन्टरनेट की पीढ़ी है। आपके लिए तो आई टी का अर्थ ही इन्फोर्मेशन टेक्नॉलॉजी इंडिया टुडे है। इसलिए आप यह बात बखूबी समझेगे कि भारत में इर्न्फोमेशन टेक्नॉलॉजी ने बहुत परिवर्तन ला दिया है। अब तो 5 जी का दौर आ गया है। आज भारत डिजटल टेक्नॉलजी के क्षेत्र में ग्लोबल मैप पर अपने पहचान बना रहा है।  भारत में उद्यमी युवाओं ने सौ से अधिक यूनिकॉर्न बनाए हैं। हर महीने 7 से 8 यूनिकॉर्न आ रहे हैं। आज युवा अपनी प्रतिभा, क्षमता और परिश्रम से बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।  केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि युवा  इंडीविजुवल अचीवमेंट से आगे बढ़कर सोशल बेटरमेंट के बारे में सोचेगे तो बड़ी सफलताएं प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा। केन्द्रीय रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में ज्ञान की समृद्धशाली परम्परा रही है। वर्तमान के कई वैज्ञानिक एवं गणितीय सिद्धान्तों की खोज हमारे ऋषि मुनियों ने की। भारत एक समय में विश्वगुरू था। हमें आने वाले समय में पुनः विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करना है। इसमें हमारे प्रतिभाशाली युवाओं का अहम योगदान होगा। युवाओं की सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत है, हमारी महान पारम्परिक विरासत। हमारी इन समृद्धशाली विरासत को अन्य देशो ने भी अपनाया है। भारत में विभिन्नताएं कभी संघर्ष का कारण नहीं बनी। उन्होंने कहा कि वर्गीय समानता बहुत जरूरी है। डिग्री प्राप्त करने वाले डॉक्टर सदैव निर्धन और जरूरतंमदों की सेवा के लिए तत्पर रहे। युवाओं को उपयोगितावाद तथा उपभोक्तावाद से भी दूर रहना होगा। उन्होंने युवाओं को नशे जैसे विनाशकारी प्रवृतियों से भी दूर रहने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारा देश दुनिया में अन्य क्षेत्रों के साथ ही  चिकित्सा के क्षेत्र में भी एक महाशक्ति के रूप में उभरा है। कोविड महामारी के पश्चात् विश्व ने भारत के राजनीतिक नेतृत्व की दूरदर्शिता और यहां के चिकित्सकों और वैज्ञानिकों की क्षमता को पहचाना है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देश को महामारी से बचाने के लिए हमारे चिकित्सकों, वैज्ञानिकों ने जो अनथक परिश्रम किया, वह अभिनंदन योग्य है, लेकिन अभी आपका कार्य पूर्ण नहीं हुआ है क्योंकि कोरोना महामारी ने पुनः अपनी दस्तक दी है। मुझे पूर्ण विश्वाश है कि एक बार फिर से आप लोग इस वायरस लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। एक समय था जब उत्तराखण्ड के लोगों को उपचार हेतु दिल्ली या अन्य शहरों में जाना पढ़ता था परंतु आज उत्तराखंड में ही विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। हमारी सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से इन सुविधाओं को उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। ऋषिकेश में स्थित एम्स और भविष्य में कुमाऊं क्षेत्र में बनने वाला इसका सेटेलाइट सेंटर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि  विश्वास है कि आज के सभी उपाधि धारक, सामाजिक जीवन में स्वामी राम  के बताए मार्ग पर चलकर, हमेशा राज्य के नागरिकों की सेवा करेंगे और उत्तराखण्ड का नाम रोशन करेंगे। आप लोग देश और राज्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने और चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व में अभूतपूर्व कार्य करने के लिए अभी से तैयार हो जाएं। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डा, धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। अभी तक आयुष्मान योजना के तहत 6.5 लाख से अधिक लोग उपचार करा चुके हैं। राज्य में किच्छा में एम्स तथा तीन नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। हम राज्य को 2024 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु प्रयास कर रहे हैं।

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