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कारगिल युद्ध में वीरभूमि के वीरों ने दिखाया था अदम्य साहस

समाचार इंडिया/देहरादून।

आज पूरा देश शौर्य दिवस मना रहा रहा है और अपने उन रणबांकुरों को नमन कर रहा है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था।  मई 1999  से 26 जुलाई 1999 तक  चले करगिल युद्ध में देश के जांबाज रणबांकुरों ने दुश्मनों के दांत खट्टे करके करगिल पर फतह किया था। वीरों की भूमि उत्तराखण्ड के वीर जवानों ने इस युद्व में अपना अदम्य साहस दिखाया था और उत्तराखण्ड के 75 वीर जांबाजों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। करगिल युद्ध में देहरादून जिले के सर्वाधिक 28 इसके बाद पौड़ी जिले के 13 रणबांकुरों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। करगिल युद्ध में नई टिहरी जिले के 8, नैनीताल के 5,चमोली के 5, अल्मोड़ा के 4,पिथौरागढ़ के 4, रुद्रप्रयाग के 3, बागेश्वर के 2, ऊधमसिंह नगर के 2 और उत्तरकाशी जिले  का 01 जाबांज ने देश की रक्षा के लिए बलिदान दिया था। इनमें से 37 वीरों को रणभूमि में उनके अदम्य साहस के लिए पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था। उत्तराखण्ड के  मेजर विवेक गुप्ता, मेजर राजेश अधिकारी को उनके अदम्य साहस के लिए महावीर चक्र  से सम्मानित किया गया। साथ ही कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, अनुसूया प्रसाद, कुलदीप सिंह, एके सिन्हा, खुशीमन गुरुंग, शशि भूषण घिल्डियाल, रुपेश प्रधान और राजेश शाह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। मोहन सिंह, टीबी क्षेत्री, हरि बहादुर, नरपाल सिंह, देवेंद्र प्रसाद, जगत सिंह, सुरमान सिंह, डबल सिंह, चंदन सिंह, मोहन सिंह, किशन सिंह, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह और संजय को सेना मेडल पुरस्कार दिया गया। इसके साथ ही राम सिंह, हरि सिंह थापा, देवेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, मान सिंह, मंगत सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप, अर्जुन सेन, अनिल कुमार को मेन्स इन डिस्पैच  अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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