रामराज बडोनी का निधन
समाचार इंडिया/ऋषिकेश।
पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता रामराज बडोनी नहीं रहे। कुछ दिनों से रामराज बडोनी का स्वास्थ्य ठीक नही चल रहा था। उन्होंने बुधवार को मुनिकीरेती आवास में अंतिम सांस ली। रामराज बडोनी का चम्बा के निकट साबली गांव में उनका जन्म हुआ और प्रारम्भिक शिक्षा गांव और फिर चम्बा से इण्टर करने के बाद वह ऋषिकेश आ गये। यहां उनकी मुलाकात स्वर्गाश्रम के स्वामी कैलाशानन्द से हुई और काफी समय तक वह आश्रम के कामकाज देखते रहे। इसी बीच लिखने पढ़ने की प्रवृत्ति के कारण उनका पत्रकारिता की ओर झुकाव बढ़ा और वह एक पत्रिका के संवाददाता हो गये। सर्वोदय आन्दोलन के प्रभाव ने भी उन्हें आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया और सुन्दर लाल बहुगुणा द्वारा वनों के कटान के खिलाफ चल रहे आंदोलन में वह शामिल हो गए। जंगल की नीलामी के विरोध में वह 80 के दशक में कुंवर प्रसून और प्रताप शिखर के साथ जेल भी गए। कालांतर में 90 के दशक में वह पूर्ण रूप से पत्रकारिता करने लगे और टिहरी से नवभारत टाइम्स के संवाददाता रहे। युगवाणी से उनका रिश्ता आजीवन रहा। आचार्य गोपेश्वर कोठियाल रिश्ते में उनके नाना थे, और पत्रकारिता की शुरुआत भी उन्होंने यहीं से की। उनके साथ बहुत सी स्मृतियां हैं। अपने दोस्तों के वह बहुत प्रिय थे। यारों की महफ़िल उनके बिना इसलिए भी अधूरी रहती थी क्योंकि वह बहुत अच्छे गवैया भी थे। उस दौर की कई महफिलों का मैं साक्षी रहा हूं जब वह देर रात तक पूरे माहौल को खुशनुमा बनाए रहते थे। 1989 में उन्होंने टिहरी संसदीय क्षेत्र से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव भी लड़ा और राज्य गठन के बाद उनकी सक्रियता काफी कम हो गयी पर सोशल मीडिया पर वह अंत तक सक्रिय रहे और जनता के मुद्दों पर अपनी बेबाक टिप्पणियां इस मंच पर देते रहे। अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बच्चों का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।