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राज्य में भूसे की हो रही कमी: यादव

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समाचार इंडिया/हल्द्वानी। 

मुख्य कृषि अधिकारी डा. वी.के.एस.यादव ने बताया कि जनपद के समस्त कृषक बन्धुओं को अवगत कराया जाता है कि पशुपालकों द्वारा पशुओं के सूखे चारे के रूप में मुख्य रूप से गेहूॅ के भूसे का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह के द्वितीय पक्ष तथा मई माह में गेहूॅ की फसल कटाई के बाद भूसा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है तथा इसी समय भूसा न्यूनतम बाजार भाव पर भी उपलब्ध हो रहा है। उन्होने कहा कि हरियाणा तथा अन्य राज्यों द्वारा भूसे की आपूर्ति पर रोक लगाने के कारण उत्तराखण्ड राज्य में भूसे की अत्यंत कमी हो रही है। जनपद के समस्त गेहूॅ उत्पादक कृषक बन्धुओं से अपील है कि गेहूॅ फसल की कटाई-मंडाई के उपरान्त अवशेष भूसा जलाने के बजाय अपने नजदीकी भूसा संग्रह केन्द्र में उपलब्ध करा दें जिससे पशुपालकों को भूसे की कमी की समस्या का समाधान होने के साथ पशुओं को सूखा चारा उपलब्ध हो सके। मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि ऐसे कृषक जिन्होंने अपनी गेहूॅ की फसल कम्बाईन से कटाई है वे सभी कृषक गेहूॅ की फसल के अवशेष को खेत में न जलायें बल्कि जनपद में स्ट्रा रीपर जो कस्टम हायरिंग सेन्टर योजना के अर्न्तगत अनुदान पर उपलब्ध कराये गये है से किराये पर भूसा तैयार करा कर निकटतम भूसा संग्रह केन्द्र पर उपलब्ध कराने का कष्ट करें। उन्होने बताया कि गेहूॅ फसल के अवशेष को जलाने से पर्यावरण को भारी क्षति होती है साथ ही गेहूॅ का भूसा पशुओं के लिए अच्छा चारा है वह भी जल कर नष्ट हो जाता है।

 

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