सन्यास अहम से वयम की यह यात्रा है: राजनाथ सिंह
समाचार इंडिया/देहरादून। दिव्य अध्यात्म महोत्सव के दूसरे दिन लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला और केंद्रीय मंत्री राजनाथ पहुंचे। धर्मसभा में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि मंदिर में जाकर मस्जिद और गुरद्वारे में जाकर पूजा करना ही अध्यात्म नही है। राष्ट्र के उत्थान में देश की अस्मिता में सन्यास का महत्व क्या होता है। राजनाथ सिंह कहा संत ही राजा को अधिकार देते थे की प्रजा के हित में कार्य करे। प्राचीनकाल में राजा के ऊपर केवल एक सत्ता धर्म सत्ता थी राजा सही काम कर रहा है यह धर्म संतों का था आज के समय में भी हम अपने राजधर्म का सही से पालन का रहे है या नहीं यह देखना आज भी संतों का का है। राजनीतिक और सांस्कृतिक ऑडिटर का काम संत करते थे। सन्यास अहम से वयम की यह यात्रा है। आज सीमाओं की सुरक्षा से परे सांस्कृतिक रक्षा का है मिलिट्री पवार देश की सीमा की रक्षा करती है जबकि संस्कृति की आज भी संतो के हाथो में है l अत राजसत्ता के लोगों पर उनका आशीर्वाद बना रहे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के सन्यासी घर बार छोड़कर विरक्त रहते हैं और मोह माया से दूर रहते हैं परंतु जब भी हमारी संस्कृति पर हमला हुआ और अंग्रेजों ने अकरंताओं ने भारत की संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया तो संतो ने उसका प्रतिरोध किया म कहा कि राज सत्ता और राजा का जो राजधर्म निभाने का कर्तव्य है उसे पर भी अंकुश लगाने का काम हमेशा संतों ने किया है और यह उनका कोई स्वार्थ नहीं है केवल संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए उसका संवर्धन करने के लिए संतों ने हमेशा अपनी भूमिका निभाई है। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी समारोह को संबोधित किया।