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निमोनिया एक गंभीर बीमारी : सेमवाल

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समाचार इंडिया। उत्त्तरकाशी। कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उत्तरकाशी सभागार में ‘‘विश्व निमोनिया दिवस’’ के अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, डॉ बीएस रावत की अध्यक्षता में गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें जिला चिकित्सालय एवं कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधिकारी, कर्मचारी एवं आम जनमानस द्वारा प्रतिभाग किया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा अवगत कराया गया कि विगत वर्षों की भांति इस बार भी ‘‘निमोनिया नहीं, तो बचपन सही’’ थीम पर आधारित निमोनिया पखवाड़े का आयोजन  10 नवम्बर से 29 फरवरी 2024 तक जनपद मुख्यालय एवं समस्त ब्लॉकों में वृह्द रूप से जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। डॉ नवीन सेमवाल, फिजिशियन, जिला चिकित्सालय द्वारा निमोनिया कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर सभी को जानकारी दी गई कि निमोनिया एक गंभीर बीमारी है जिससे देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का ये सबसे बड़ा कारण है इसलिए घरेलू उपचार में व्यर्थ का समय बरबाद न करके निमोनिया के लक्षण पहचान कर, बच्चे को तुरंत चिकित्सालय में उपचार हेतु लाना चाहिए। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि निमोनिया से बच्चे ही नही बल्कि 60 साल से ऊपर के व्यक्ति जो लीवर रोग, एड्स रोग या क्रोनिक बीमारियों से पीड़ित हैं, वह भी आसानी से निमोनिया के चपेट में आ जाते हैं। निमोनिया के सामान्य लक्षणों में खाँसी और जुकाम का बढ़ना, बच्चे का तेजी से साँस लेना, तेज बुखार आना एवं गंभरी लक्षणों में खा-पी ना पाना, झटके आना एवं सुस्ती या अधिक नींद आना आदि हैं। डॉ सेमवाल ने निमोनिया से बचने के उपाए में सबसे पहले बच्चे के जन्म के पहले घन्टे में माता को अवश्य स्तनपान करवाना चाहिए इसके साथ ही जन्म से 6 माह तक बच्चे को केवल माँ का दूध ही पिलाना चाहिए। 6 माह बाद बच्चे को ठोस आहार देना भी जरूरी है। इसके अतिरिक्त निमोनिया से बचाव हेतु पीने के पानी को ढ़क कर रखना, बच्चे को सर्दियों में ऊनी कपड़े पहनाएं और जमीन पर नंगे पांव ना चलने दें। गोष्ठी के समापन से पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, डॉ बीएस रावत द्वारा सभी से अपने बच्चों को निमोनिया बीमारी से सुरक्षित रखने एवं चिकित्सक द्वारा बतायी गई सावधानी को अपने दैनिक जीवन में अपनाने की अपील की।

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