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बीज उत्पादन में क्रांति लाने की जरूरत : राज्यपाल

समाचार इंडिया।रुद्रपुर। राज्यपाल  गुरमीत सिंह ने पंतनगर में 114वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उदघाटन किया। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान मेले में आकर बड़ा हर्ष हुआ, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा माॅडल के माध्यम से कृषि तकनीकों, ए.आई., जलवायु तकनीक के नवाचार को प्रस्तुत किया है जोकि एक सराहन6 कार्य है। उन्होंने कहा कि हमें एकजुटता के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।  उन्होंने कहा कि बीज के उत्पादन में क्रांति लाने की आवश्यकता है। किसान मेले में उत्तराखण्ड की स्वयं सहायता महिलाओं द्वारा पैकिंग की गुणवत्ता बहुत ही अच्छे ढंग से की गयी है जोकि एक सराहनीय कार्य है। उन्होंने आने वाला समय महिलाओं और बेटियों का बताया। खाद्य के क्षेत्र में विवि की भूमिका रही है।  विवि के वैज्ञानिकों ने नवाचार, नयी प्रजातियों, तकनीकों कोे किसानों तक मुहैय्या कराया है जिससे किसान उन तकनीकों को उपयोग में लाकर अपनी आय में वृद्वि कर रहें है। उन्होंने कहा कि विवि पूर्व में आईसीएआर द्वारा तीन बार सरदार बल्लभ भाई उत्कृष्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया है और आशा करता हूँ कि अगले साल यह अवार्ड पुनः प्राप्त हो। उन्होंने विवि के वैज्ञानिकों को चुनौती दी की 100 कि.ग्रा. से अधिक का सीताफल विश्वविद्यालय में उगाया जाये।  प्रधानमंत्री जी की मुहिम अन्तर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष 2023 को 72 देश में श्रीअन्न के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होने मिलेट को प्रभुु के भोजन का आर्शीवद बताया। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है जिससे हमारा शरीर रोगमुक्त हो जाता है। उन्होंने बीज के क्षेत्र में क्रांति लाने की आवशकता पर बल दिया तथा नवीनतम तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने का आह्वान किया। सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध की आवष्यकता है क्योंकि आने वाले समय में पानी की किल्लत होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि जिस तरह मृदा में रासायनिक उर्वरक, यूरिया आदि का उपयोग हो रहा है जिससे पानी का स्तर घटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने की बात कही। कार्यक्रम में कुलपति डा. मनमोहन सिंह चैहान ने कहा कि 114वें किसान मेले में अब तक 450 स्टाल लगाये जा चुके है और रू. 36 लाख की आय हुई है जोकि अब तक का रिकार्ड है। देष में 33 करोड टन अनाज पैदा हो रहा है जो देष की 140 करोड की जनसंख्या का पेट भर रहा है। यह सब वैज्ञानिकों एवं किसानों के सहयोग से हो पाया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दलहन में वविवि में 7 प्रजातियां विकसित की गयी हैं, जो कुल मिलाकर अब तक विभिन्न फसलों की 252 प्रजातियां विकसित हुई हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि नवीन तकनीकों को विकसित करने की  जरूरत है। उन्होंने सभी से सहयोग करने का आह्वान किया। इस दौरान उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से चयनित 9 कृषकों और विभिन्न फसलों की प्रजातियों को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया। इस दौरान किच्छा विधायक  तिलक राज बेहड़, विवि के कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चौहान; किसान आयोग के उपाध्यक्ष राजपाल सिंह, जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिला विकास अधिकारी, एसडीएम, अधिष्ठाता, निदेषकगण, संकाय सदस्य, किसान, विद्यार्थी, वैज्ञानिक, शिक्षक, अधिकारी, विभिन्न कम्पनियों के प्रतिनिधि एवं अन्य आगंतुक उपस्थित थे। मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ ही नेपाल के किसान भी उपस्थित रहे।

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