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शीतकाल के लिए बन्द हुए हेमकुंड साहिब के कपाट

समाचार इंडिया।गोपेश्वर। सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल श्री हेमकुण्ट साहिब  के कपाट आज  शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस पावन अवसर पर लगभग 2500 श्रद्धालुओं ने गुरू दरबार में मौजूद रहे। अरदास के साथ ही दोपहर 1:10 बजे श्री हेमकुण्ट साहिब यात्रा का समापन हो गया है। अरदास के बाद संगतों द्वारा “जो बोले सो निहाल के जयकारों की गूंज तथा पुष्प वर्षा के साथ बैंड-बाजों की धुनों के बीच पंज प्यारों की अगुवाई में गुरू साहिब जी के स्वरूप को सुखासन स्थान पर नतमस्तक होकर श्रृद्धा से सुशोभित कर दिया गया। इससे पूर्व आज प्रातः 10 बजे सुखमनी साहिब के पाठ की आरंभता हुई तथा समाप्ति प्रातः 11:20 पर ज्ञानी कुलवंत सिंह जी द्वारा की गई तथा दोपहर 12:10 पर मुख्य ग्रंथी भाई मिलाप सिंह जी द्वारा अरदास की गई। अरदास समाप्ति के बाद रागी जत्था भाई गुरप्रीत सिंह व साथी एवं रागी जत्था भाई प्रताप सिंह व साथियों द्वारा किए गए गुरबाणी कीर्तन का गुरू दरबार में उपस्थित संगतों ने भरपूर आनंद लिया। इस वर्ष श्री हेमकुण्ट साहिब  की यात्रा के लिए 2,62,351 (दो लाख बासठ हजार तीन सौ इक्यावन) यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया जिनमें से लगभग 2 लाख 4 हजार श्रद्वालुओं ने गुरू दरबार में उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त किया। भारतीय सेना की 418 इंडीपेंडेन्ट इंजीनियर दल के सदस्यों ने भी इस अवसर पर बढ़चढ़ कर अपना योगदान दिया। गुरुद्वारा प्रबंधन ने सेना द्वारा निभाई गई सेवा के लिए सभी जवानों को सिरोपा भेंज करके सम्मानित किया।

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