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29 से होगी पितृपक्ष की शुरूआत

समाचार इंडिया। डेस्क। इस बार 29 सितंबर से  पितृपक्ष की शुरूआत हो रही है ये कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 14 अक्तूबर तक रहेंगे। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का अपना विशेष महत्व है। पितृपक्ष पितरों और पूर्वजों की शांति और तृप्ति के लिए  मनाया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष पर पितृ मृत्यु लोक से कौवे के रूप में धरती लोक पर आते हैं और अपनों को आशीर्वाद देते हैं इसलिए पितृपक्ष में  पितरों को तर्पण और श्राद्ध किया जाता है । कहा जाता है यदि पितृपक्ष के दौरान भोजन कराने के लिए कौवा नहीं मिलता है तो गाय या कुत्ते को भोजन कराना चाहिए। इस दौरान पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। पीपल के वृक्ष को पितरों का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान पीपल की पूजा अर्चना करना बेहद शुभ फलदाई माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जिससे वे प्रसन्न होते हैं और वंशजों का कल्याण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहती है। इस दौरान लहसुन और प्याज, मांसाहार का सेवन वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि इनके सेवन से पूर्वज रूष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा पितृ पक्ष के दौरान खीरा, जीरा, मूली और सरसों के साग का सेवन के भी मनाही होती है। पितृ पक्ष के दौरान पशु-पक्षियों की सेवा करने का भी चलन है।  वही सभी मांगलिक कार्य पितृ पक्ष में निषेध माने गए हैं। कोई भी शुभ काम इन 15 दिनों तक नहीं किये जाते हैं।

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