प्रसिद्ध ढोलवादक देवदास का निधन
समाचार इंडिया। घनसाली /टिहरी । ढोल सागर विधा में माहिर देवदास का लंबी बीमारी के बाद आज उनके पैतृक गांव भल्ड बासर में निधन हो गया है। वह लगभग 72 वर्ष के थे। उनके निधन पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने शोक जताया है। वह अपने पीछे पत्नी और 1 बेटा और 3 बेटियां का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। कोरोना काल में उनके 35 वर्षीय छोटे पुत्र का कोरोना से निधन हो गया था। देवदास की पत्नी वीरमा देवी देवी का बताती है कि उनके निधन से अब उनके छोटे पुत्र के परिवार का भरण पोषण कैसे होगा ये गम्भीर चिन्ता सता रही है। देवदास जाने माने ढोल वादक थे। उन्होंने बासर पट्टी के साथ ही केमर ,थाती ,रमोली, रवाई ,जौनपुर, जौनसार, उत्तरकाशी के साथ ही कई जगहों में ढोल सागर विधा का काम किया हैं। उन्हें ढोल लोक विधा का सम्राट माना जाता था। उत्तराखंड संस्कृति के संरक्षण एवं समर्थन में देवदास की मौत से अमूल्य क्षति महसूस की जा रही है। उनके निधन पर पूर्व विधायक भीम लाल आर्य उनके गांव भल्ड़ बासर पहुँचे और शोकाकुल परिवार को दी सांत्वना। उन्होंने उनकी पत्नी को आर्थिक मदद का आश्वासन दिया।उन्होंने कहा कि देवदास उत्तराखंड लोक संस्कृति एवं लोक कला के प्रख्यात ध्वजवाहक थे। वह लोक संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। इनके निधन से इस विधा का और उत्तराखंड की पौराणिक लोक संस्कृति का एक अध्याय समाप्त हो गया है।उनके ढोल सागर के उम्दा संगीत और ज्ञान की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है।उनके निधन पर विभिन्न संगठनों, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने शोक जताया है। साथ ही पूर्व प्रधान बिहारीलाल,धरमलाल ठेकेदार पूर्व प्रधान सोनी , विष्ट आदि लोगों ने भी देवदास के निधन पर शोक जताया है।Q