Mon. Sep 23rd, 2024

अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से तुंगनाथ घाटी की सुन्दरता पर लगे चार चांद

समाचार इंडिया/ऊखीमठ। तुंगनाथ घाटी में लगातार बारिश होने से चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग के तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों में नव ऊर्जा का संचार होने से बुग्यालों की सुन्दरता पर चार चांद लगने शुरू हो गये हैं साथ चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग पर जगह – जगह अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से तुंगनाथ धाम के आंचल में बसा भूभाग स्वर्ग के समान महसूस हो रहा है।

चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्याल हरियाली से आच्छादित होने तथा पैदल मार्ग अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने से यहाँ पहुंचने वाला तीर्थ यात्री व सैलानी यहाँ की प्राकृतिक छटा से रूबरू होकर अपने को धन्य महसूस कर रहा है। तुंगनाथ घाटी के भूभाग को प्रकृति ने अपने वैभवो का भरपूर दुलार दिया तथा तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता को मिनी स्वीजरलैण्ड का नाम दिया है। तुंगनाथ घाटी के पग – पग को प्रकृति ने नव – नवेली दुल्हन की तरह सजाया व संवारा है इसलिए तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर सैलानियों का आवागमन जारी रहता है। इन दिनों तुंगनाथ घाटी में समय – समय हो रही बारिश के कारण अधिकांश भूभाग हरियाली व अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने के कारण तुंगनाथ धाम पहुंचने वाला तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम में पूजा – अर्चना का पुण्य अर्जित करने के साथ ही यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य से भी रुबरु हो रहे हैं।

प्रधान मक्कूमठ विजयपाल नेगी ने बताया कि इन दिनों तुंगनाथ घाटी का वतावरण खुशनुमा बना हुआ है तथा सुरम्य मखमली बुग्याल हरियाली से आच्छादित होने से तुंगनाथ घाटी की सुन्दरता पर चार चांद लगे हुए है उन्होंने बताया कि चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग पर अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने यहाँ की प्राकृतिक छटा से रूबरू होने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्री व सैलानी तुंगनाथ घाटी पहुंच रहे हैं। शिक्षाविद धीर सिंह नेगी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी पहुंचने पर मन्द – मन्द कैलाशी बयार भटके मन को अपार आनन्द की अनुभूति करती है, यूपी मेरठ से तुंगनाथ घाटी पहुंचे राहुल शुक्ला ने बताया कि तुंगनाथ घाटी के पग – पग को प्रकृति ने अपने वैभवो का भरपूर दुलार दिया है इसलिए तुंगनाथ घाटी में बार – बार आने की लालसा बनी रहती है। हरियाणा पानीपत से तुंगनाथ घाटी पहुंचे अमित सोनी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी के शीर्ष पर बसे चन्द्र शिला से प्रकृति का नयनाभिराम देखने से सचमुच स्वर्ग का ऐसा होता है इसीलिए इस माटी को देवभूमि या स्वर्ग भूमि के नाम से जाना जाता है।

लक्ष्मण सिंह नेगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *