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मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसती तुंगनाथ घाटी

समाचार इंडिया/ऊखीमठ। तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर समस्याओं का अम्बार लगने का खामियाजा देश – विदेश के तीर्थ यात्रियों सहित स्थानीय व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है। तुंगनाथ घाटी के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक होने से तुंगनाथ घाटी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज बनी हुई है। स्थानीय तीर्थ पुरोहित समाज व व्यापारियों द्वारा समय – समय पर तुंगनाथ घाटी में फैली समस्याओं के निराकरण की मांग तो की जा रही है मगर शासन – प्रशासन स्तर से मांगों पर अमल न होने पर स्थानीय जनता में आक्रोश बना हुआ है।

प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील देती है तथा तुंगनाथ घाटी में मूलभूत सुविधाएं मुहैया होती है तो स्थानीय तीर्थाटन – पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ मन्दिर समिति की आय में भी वृद्धि हो सकती है। तुंगनाथ घाटी को प्रकृति ने अपने वैभवो का भरपूर दुलार दिया है इसलिए तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर सैलानियों का आवागमन जारी रहता है तथा सैलानी यहाँ सप्ताह भर प्रकृति की सुरम्य वादियों से रूबरू होने के लिए पहुंचता है मगर तुंगनाथ घाटी के यात्रा पड़ावों पर संचार, विधुत जैसी मूलभूत सुविधाएं न होने से यहाँ पहुंचा सैलानी तुंगनाथ घाटी को एक रात्रि में ही विदा कर देता है।

चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग पर शौचालयों का निर्माण न होने से तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करने के साथ ही चोपता – तुंगनाथ के आंचल में फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता पर खासा ग्रहण लग रहा है। चोपता के व्यापारियों द्वारा चोपता में लम्बे समय से पार्किंग की मांग की जा रही है मगर पार्किंग का निर्माण न होने से यात्रा सीजन में जाम की स्थिति बनी रहती है। स्थानीय व्यापारी प्रदीप बजवाल ने बताया कि संचार युग में भी तुंगनाथ घाटी संचार जैसी सुविधाओं से वंचित रहने से स्थानीय तीर्थाटन – पर्यटन व्यवसाय प्रभावित होना स्वाभाविक ही है। स्थानीय व्यापारी दिनेश बजवाल ने बताया कि तुंगनाथ घाटी को विधुत व्यवस्था से जोड़ने की कार्ययोजना तैयार हो चुकी है मगर सरकारी हुक्मरानों की अनदेखी के कारण तुंगनाथ घाटी को विधुत व्यवस्था से जोड़ने वाली कार्ययोजना परवान नहीं चढ़ पा रही है।

लक्ष्मण सिंह नेगी

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