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देवकी लघु वाटिका मंडलसेरा का किया भ्रमण

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समाचार इंडिया/बागेश्वर।
केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौध संस्थान पंतनगर के वैज्ञानिकों ने देवकी लघु वाटिका मंडलसेरा का भ्रमण किया। उन्होंने मूंगा रेशम की खेती के साथ ही जंगली जानवरों से सुरक्षित नर्सरी में सिलिंग के पौध देखे। कहा कि सलिंग बेहद दुर्लभ वृक्ष है। लघु वाटिका पहुंचे डा. राजेंद्र पड़लिया और उमा पांडे ने कहा कि मेंगा रेशम की खेती और सिलिंग के लिए रोजगार पैदा होगा। देवभूमि में पर्यावरण संरक्षण के लिए यह पौधा अहम भूमिका निभा सकते हैं। सरकार इसके लिए सहायता कर सकती है। उन्होंने वाटिका में सिलिंग के संरक्षण को अत्यंत सराहनीय बताया और संस्थान से सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। कहा कि सिलिंग के पौधों को नौलों, धारों, मार्ग, मंदिर, पार्क, विद्यालयों में रोपित किए हैं। जिनमें फूल भी खिलने लगे हैं। जलस्रोतों का पानी भी शुद्ध हो रहा है। जो स्वच्छ वातावरण के साथ ही फूलों से रोजगार भी बढ़ाएगा। किशन मलड़ा ने उन्हें पांच पौधे सिलिंग के भेंट किए। कहा कि सिलिंग के पौधे के नाम से कई गांव और स्थान भी प्रसिद्ध हैं। इसके संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है। स्थायी रोजगार, पर्यावरण संरक्षण और पलायन पर रोकने के जिए मूंगा रेशम और सिलिंग पर काम हो सकता है।

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