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सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को लगा झटका

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समाचार इंडिया/देहरादून। उत्तराखंड उच्च न्यायालय से उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को  झटका लगा है। हाईकोर्ट ने बीते अक्टूबर माह के आदेश को निरस्त करते हुए विधान सभा सचिवालय के आदेश को सही ठहराया है। गुरुवार को उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने  विधानसभा के  228 बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करने के आदेश को चुनौती देने वाली विधानसभा की ओर से दायर विशेष अपीलों पर  सुनवाई करने के बाद एकलपीठ द्वारा दिये गए   अक्टूबर माह के आदेश को निरस्त कर दिया है। डबल बैच ने विधान सभा सचिवालय के निर्देश को सही ठहराया है। खंडपीठ ने कहा कि बर्खास्तगी के आदेश को रोका नहीं जा सकता है।  गौरतलब है कि विधानसभा सचिवालय की ओर से एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया था कि बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की नियुक्ति काम चलाऊ व्यवस्था के तहत की गई थी। शर्तों के अनुसार उनकी सेवाएं कभी भी बिना नोटिस व बिना कारण के समाप्त की जा सकती हैं। साथ ही  उनकी नियुक्तियां विधानसभा सेवा नियमावली के विरुद्ध की गई है। वही बर्खास्त कर्मचारियों की ओर से कहा गया था कि उनको बर्खास्त करते समय अध्यक्ष ने संविधान के अनुच्छेद 14 का  उल्लंघन किया है। अध्यक्ष ने 2016 से 2021 तक के कर्मचारियों को ही बर्खास्त किया है, जबकि ऐसी ही नियुक्ति विधान सभा सचिवालय में 2000 से 2015 के बीच भी हुई हैं, जिनको नियमित भी किया जा चुका है। यह नियम सब पर एक समान लागू होना  चाहिए था। उन्हें ही बर्खास्त क्यों किया गया। गौरतलब है कि उत्तराखंड  विधानसभा में राज्य बनने के बाद से सत्ताधारी मंत्रियों, विधायकों और नौकरशाहों ने  अपने  रिश्तेदारों,, चहेतों को बैक डोर से नियुक्ति दी थी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रितू भूषण खंडूड़ी ने सख्त रवैया अपनाते हुए इन 228 कर्मचारियों को हटा दिया था। । विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ हटाए गए कर्मचारियों ने न्यायालय की शरण ली थी, और न्यायालय की सिंगल बेंच ने कर्मचारियों को वापस लेने का आदेश दिया था।  इसके बाद सिंगल बेंच के निर्णय के खिलाफ सरकार ने इस मामले को डबल बेंच में दाखिल किया।  आज डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को खंडपीठ ने रोक लगाते हुए विधानसभा अध्यक्ष का आदेश को सही माना।

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