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परंपरानुसार दरमोला के तरवाड़ी गांव में पांडव नृत्य शुरू

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समाचार इंडिया/रुद्रप्रयाग। अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम पर गंगा स्नान व पूजा-अर्चना के साथ जखोली ब्लॉक के ग्राम पंचायत दरमोला के राजस्व ग्राम तरवाड़ी में पांडव नृत्य शुरू हो गया है। सदियों से ग्रामीण प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। गांव में अनुष्ठान को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह बना हुआ है। शुक्रवार सुबह संगम पर देवी-देेवताओं, देव निषाणों व बाणों को गंगा स्नान कराया गया। मुख्य पुजारी व अन्य ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देव निषाणों के साथ भगवान बदरी‌नाथ, लक्ष्मीनारायण, शंकरनाथ, नागराजा, चामुंडा देवी, हीत-भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना की गई। साथ ही पांडवों का आह्वान किया गया। इस अवसर पर यज्ञ-हवन कर क्षेत्र की सुख-समृद्घि की कामना भी की गई। पांडव अपने पश्वाओं पर अवतरित हुए और ग्रामीणों को सुख-समृद्घि का आशीर्वाद दिया। पूर्वान्ह 11 बजे संगम स्नान के उपरांत पांडव पश्वा व ग्रामीणों ने ढोल-दमाऊं की थाप पर देव निषाणों के साथ दरमोला गांव के लिए प्रस्थान किया। अपराह्न 3 बजे गांव पहुंचकर पांडव चौक पर वि‌‌धि-विधान के साथ पांडव नृत्य शुरू हुआ। इससे पूर्व वृहस्पतिवार देर शाम को दरमोला और स्वीली-सेम गांव के ग्रामीण आराध्य देवी-देवताओं की डोली और निषाण के साथ संगम रुद्रप्रयाग पहुंचे। यहां पर रात्रि जागरण के साथ देव निशाणों की चार पहर पूजा-अर्चना की गई। पांडव नृत्य समिति के अध्यक्ष भोपाल सिंह पंवार ने बताया कि दरमोला और तरवाड़ी गांव सदियों से एकादशी के पर्व से पांडव नृत्य की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। बताया कि एक वर्ष तरवाड़ी व दूसरे वर्ष दरमोला में पांडव नृत्य की परंपरा है। अनुष्ठान में शामिल होने के लिए सभी प्रवासी ग्रामीणों और ध्याणियों को आमंत्रित किया गया है।

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