डायलिसिस से पहले सेंटर की क्लीनिकल क्वालिटी की करें जांच
समाचार इंडियादेहरादून// सहारनपुर। डायलिसिस एक ऐसी मेडिकल थेरेपी है, जिसकी मदद से एक्यूट या क्रोनिक किडनी फेलियर से पीड़ित दुनिया भर में लाखों मरीजों की जान बच पाती है। जिस तरह से अन्य इनवेसिव थेरेपी या मेडिकल टेक्नीक में छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा जाता है ठीक उसी तरह से डायलिसिस में भी एक नेफ्रोलॉजिस्ट द्वारा सावधानी बरतते हुए हर एक चीज को ध्यान में रखकर अमल में लाया जाता है। इसके अलावा इस तरह की थेरेपी में निगरानी करने के लिए कुशल तकनीशियनों या डिलीवरी थेरेपिस्ट की भी जरूरत होती है। सहारनपुर स्थित वाइटसकेयर सेंटर के डॉ विवेक रुहेला ने कहा है कि अगर कोई मरीज डायलिसिस शुरू करना चाहता है तो वह जिस डायलिसिस सेंटर में जा रहा है उस सेंटर के काम करने के तरीके, क्वालिटी या परिणामों की विधिवत तरीके से जांच कर लेनी चाहिए।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम की वेबसाइट पर प्रकाशित 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल एंड-स्टेज रीनल डिजीज के लगभग 2.2 लाख नए मरीज देखने को मिलते हैं। इस वजह से हर साल 3.4 करोड़ डायलिसिस की अतिरिक्त मांग बढ़ जाती है। मांग इतनी ज्यादा होने के कारण गुणवत्ता वाले डायलिसिस सर्विस प्रोवाइडर की कमी हो गयी है। इसलिए अब मरीजों के लिए डायलिसिस शुरू करने से पहले किसी भी सेंटर में मेडिकल एडमिनिस्ट्रेशन की गुणवत्ता का पूरी तरह से जांच पड़ताल करना महत्वपूर्ण हो गया है।
वाइटसकेयर सेंटर, सहारनपुर के डॉ विवेक रूहेला ने इस पर टिप्पणी देते हुए कहा कि किसी भी डायलिसिस सेंटर का सबसे पहला लक्ष्य यह होना चाहिए कि उनके सेंटर में जो भी मरीज डायलिसिस के लिए आएं उसे वे सुरक्षित वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली सेवा प्रदान करके उसकी बेहतर सेहत के लिए काम करें। एंड-स्टेज रीनल डिजीज पीड़ितों मेंएचआईवी, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमणों से जुड़ी मोर्बिडिटी और मोर्टिलिटी में बढ़ोत्तरी न हो इसके लिए डायलिसिस सेंटरों में संक्रमण को रोकने के लिए सभी सावधानीयों का कड़ाई से पालन होना चाहिए। कर्मचारियों की नियमित रूप से ऑडिट और ट्रेनिंग होनी चाहिए। ऐसे पॉजिटिव मरीजों के लिए उनके पास डेडिकेटेड डायलिसिस मशीन होनी चाहिए। सेंटर को नियमित रूप से इलाज से पहले, इलाज के दौरान और इलाज के बाद डायलिसिस मरीज के वजन और ब्लड प्रेशर की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए। इसके अलावा किसी भी प्रकार के क्रॉस-संक्रमण की संभावना से बचने के लिए मरीजों की सीरोलॉजी रिपोर्ट लेनी चाहिए। कोई कर्मचारी एक साथ कई मरीजों की देखभाल कर रहा है तो किसी भी मरीज की देखभाल से पहले और दौरान इस तरह के खतरे को रोकने के लिए सभी कर्मचारियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा सुझाए गए सात-स्टेप वाले दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए।